जम गया सो बर्फ़ होगा, बह गया जो होगा पानी

जम गया सो बर्फ़ होगा, बह गया जो होगा पानी ख़ून की अपनी ज़ुबां है, ख़ून की अपनी रवानी   ख़ून है जब तक रग़ों में, ख़ूब निखरे है जवानी जब बुढ़ापा आये है तो ख़ून बन जाता है पानी   हर कली की आँख नम है, पत्ता-पत्ता काँपता है आँकड़े सब तोड़ शायद रात … Continue reading जम गया सो बर्फ़ होगा, बह गया जो होगा पानी